जुदाई में उनके फूलों का सिसकना
क्या बताऊँ अपने दिल का तडपना
बात मौसम की यूँ पूछा न करें
वो हैं तो हर मौसम है सुहाना
सुबह होती है परिंदे गाते हैं
जब यहाँ होता है उनका आना
मचलती हैं वो जब प्यासी नदी सा
देखा है तब बादलों का बरसना
नाचीज को खबर है उनके आने का
पर मिलता नहीं मिलने का बहाना
२
ये रस्ते चौबारे कहें कि तुम चले आओ
ये दर ओ दीवारें कहें कि तुम चले आओ
आसमां निहारूं, हवा से बात करूँ
इस पागल को देखने तुम चले आओ
इक तस्वीर तेरी आज भी बनाई है
उसमें रंग दहकें जो तुम चले आओ
ख्वाब में ही सही रोज मिलता हूँ तुमसे
ख्वाब ऐसा ही देखने तुम चले आओ
तेरी यादों के सिवा कुछ भी याद नहीं
फर्क नहीं, तुम खुद कि ख्वाब में आओ
३
तनहा तनहा जिन्दगी तमाम हुई
जो बरबादियों के नाम हुई
सफ़र के बीच मिली जुदाई हमें
ढूंढते इश्क यूँ ही शाम हुई
पनपा था इश्क जिस गली में
अब वो गली खामोशी के नाम हुई
पता जिसके नाम, लिखता था शहर
दास्ताँ ही उसकी, गुमनाम हुई
नाचीज न जी सका न मर सका
तन्हाई जिन्दगी में आम हुई
४
सन्नाटे में दिल बहुत बोलता है
खजाना यादों का यूँ उमड़ता है
लगता है अभी अभी वो मिले थे
पंख लगा के ये वक्त उड़ता है
उग आए कांटे जहाँ फूल खिलते थे
फिर भी इक दीवाना वहां रहता है
इश्क करता था वो चांदनी से
अब पत्थरों को बावला चूमता है
उसे मिटने का कोई गम ही नहीं
कब्र में भी नाचीज जी लेता है
५
उसकी जाँ से किसने जां छीन ली
फूलों से किसने महक छीन ली
यहाँ जो गाते थे, कितना गुनगुनाते थे
उन परिंदों से किसने जुबां छीन ली
चाँद को किसने यूँ बेनूर किया
किसने पानी से ज़िंदगी छीन ली
कैसे बिखरे ये रंग तितलियों के
किसने मुहब्बत से गज़ल छीन ली
६
वो चाँद मेरा रोता होगा कहीं
उसकी रातें काटे न कटी होंगी
आहटों पे वो होगी चौंकी तो नहीं
उसने पहाड़ों से कहीं पूछा होगा
इस बावले बादल का पता तो नहीं
भीगी सी चिट्ठी उसने लिखी होगी
बना के अश्कों की स्याही तो नहीं
वो आएँग यहाँ , मैं रहूँगा ही नहीं
चाँद औ' चकोर कभी मिलते तो नहीं