शुक्रवार, 29 अप्रैल 2011

ये हाल क्या है





मत पूछिए कि उनका अब ये हाल क्या है
चुप है शोर क्यों  अब ये उनका  हाल क्या है

चले गए मुझको वो कर के तन्हा
तन्हा तन्हा अब ये उनका हाल क्या है

उनको लिखते रहे हम ख़त  खूने जिगर से
सीखते हैं जुबां वो अब ये उनका हाल क्या है

ख्वाब में भी देखा दिल में बिठाया
वो तड़पते हैं क्यों  ये उनका  हाल क्या है

जलाते रहे हम चराग अपनी गली में
रोशनी जोहते अब ये उनका हाल क्या है

जागते ही गुज़ारी सारी सारी रात
वो नींद को तरसते  ये उनका हाल क्या है




शनिवार, 16 अप्रैल 2011






वर्षों तक
अन्धकार में दफ़न रहने के बाद
दोस्त!
मैं एक कतरा रोशनी देख रहा हूँ
लेकिन
इस रोशनी पर भी
काले काले धब्बे देखा रहा हूँ 
दोस्त!
शायद
कोई
मशाल ले कर बढ़ रहा है
और
अन्धकार ने उस पर हमला कर दिया है
यह एक जंग है दोस्त!
मदमत्त अंधकार
अपने  आप को
सर्व शक्तिमान मानता है
वह अट्टहास कर रहा है
वह मशाल का मजाक उड़ा रहा है दोस्त!
लेकिन
मशाल को इसकी चिंता नहीं है
वह अपनी छोटी सी जिन्दगी को
जीना जनता है
वह जब तक जीएगा
अन्धकार  को चीरता रहेगा
दूसरों के लिए ही
जलता रहेगा दोस्त!
देखो दोस्त !
मेरी कविता में बहते शब्दों को
हर एक शब्द
एक मशाल है दोस्त!
ये शब्द जलेंगे
जलते रहेंगे
तमसो मा ज्योतिर्गमय !






सोमवार, 11 अप्रैल 2011

अन्ना का ढोलक बाजे मोदी को चमकाय
बेसुर होते ढोलक को बेदी ने ब्रेक लगाय
कुछ न होगा कानून से सिब्बलजी फ़रमाय
अपना अनुभव वकालती झटपट दिया बताय
मार गुलाटी बाबा ने पूर्वज याद दिलाय
बाबा के योग शिविर में गरीब पैठ न पाय
लोकपाल बना विवादित जनता को चकराय
बाल ठाकरे गरजे अन्ना  जी सो जाय

बाबा की पोल खुली अन्ना की पोल खुली
भाजपा की पोल खुली कांग्रेस की पोल खुली
यहाँ तो राजनीति पर राजनीति ही चली
राजनीति के स्पर्श  से जन्मते भ्रष्ट  औ' छली
ये लाचार जनता जाए तो जाए किस गली
भ्रष्टाचारियों के आगे किसी की न चली