शनिवार, 9 अक्तूबर 2010

लो फिर चुनाव आए

सबने ताली बजाए

सबने चकचक सफ़ेद कपड़े पहने
सबने सबको नंगा किया
सबने सबके हमाम में झांका
सबने सबके फीगर बताए
सबने सबके पेट के हिसाब दिए
सबने सबके खुराक बताये

लो फिर चुनाव आए

सबने ताली बजाए



उसने इसके वादे चुराए
इसने उसके वादे चुराए 
सबने कहा, उनकी कापी राइट है
सबने सबको चोर बताए
सबने दूसर के बारे में सच बताए 
और सबके सच सामने आए  

लो फिर चुनाव आए
सबने ताली बजाए


उसने मुह खोले 
अक्षर बौराए, शब्द लडखडाए
उसने हाथ फैलाए 
काटोरेवाले घबराए
उसने गुंडागर्दी ख़त्म किए
गुंडों को टिकट धराए

लो फिर चुनाव आए
सबने ताली बजाए

साथी दल को धमकाए-
तू क्यों बवाली को बुलाए
क्यों भगवा लहराए
अपना अजेंडा गुजरात में रख
बिहार में जाति के परचम लहराए 
हरे हरे वोट पर क्यों आफत बुलाए
उसको बोलो न घबराए
सब देखेंगे चकराए
चुनाव बाद उसको फिर गले लगाए

लो फिर चुनाव आए 
सबने ताली बजाए 

नव गाँधी के चेलों ने कुरते चमकाए
देखोगे जादू जब बाबा आए 
पक्की सड़क से नीचे न जाए 
कच्ची सड़क की बात करे
मैडम आए चमत्कार हो जाए
बिना  हाथ डुलाए
हाथ पर वोट गिर जाए
अपना ख्वाब  सजाए
जनता को ख्वाब  दिखाए

लो फिर चुनाव आए
सबने ताली बजाए

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें