शनिवार, 16 अप्रैल 2011






वर्षों तक
अन्धकार में दफ़न रहने के बाद
दोस्त!
मैं एक कतरा रोशनी देख रहा हूँ
लेकिन
इस रोशनी पर भी
काले काले धब्बे देखा रहा हूँ 
दोस्त!
शायद
कोई
मशाल ले कर बढ़ रहा है
और
अन्धकार ने उस पर हमला कर दिया है
यह एक जंग है दोस्त!
मदमत्त अंधकार
अपने  आप को
सर्व शक्तिमान मानता है
वह अट्टहास कर रहा है
वह मशाल का मजाक उड़ा रहा है दोस्त!
लेकिन
मशाल को इसकी चिंता नहीं है
वह अपनी छोटी सी जिन्दगी को
जीना जनता है
वह जब तक जीएगा
अन्धकार  को चीरता रहेगा
दूसरों के लिए ही
जलता रहेगा दोस्त!
देखो दोस्त !
मेरी कविता में बहते शब्दों को
हर एक शब्द
एक मशाल है दोस्त!
ये शब्द जलेंगे
जलते रहेंगे
तमसो मा ज्योतिर्गमय !






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