उनकी आवाज ही आवाज है
और सबकी आवाज पर ताला है
वो हिन्दू के ठेकेदार हैं
वो मुसलमान के पैरोकार हैं
वो जात के मुखिया हैं
वो क्षेत्र के पहरेदार हैं......
लेकिन हकीकात में
वो और वो
सिर्फ अपने लिए हैं.....
नारों की बन्दूक लिए
वो खतरनाक शिकारी हैं
उनका पहला शिकार-
कुर्सियां
दूसरा शिकार-
जनता का खजाना
तीसरा शिकार-
आम आदमी
और
अगले शिकार की बात
खुले में कुछ कहना
ठीक नहीं!
क्योंकि ऐसा करने से
शिकार फिर से शिकार हो जाता है!
वो शिकारी बड़ा मददगार है-
मदद के बदले में
मदद लेने वालों को
लूटता है
रौंदता है
मसलता कुचलता है
उसका हाथ नहीं जाल है!
वो बात जितनी सुन्दर करता है
उतनी ही असुंदर
वो काम करता है
उसकी मुखाकृति
उसकी संस्कृति
दोनों ही
पूरे देश को
धोखा दे रही हैं !
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