हम उस भारत की पूजा करते हैं
जहाँ बहती समभाव की वेद-गंगा
जहाँ फूटी थी तांडव से शब्द-गंगा
हम उस भारत की पूजा करते हैं
जहाँ राम ने खाए जूठे बेर पवित्र
जहाँ रत्नाकर बन जाते विश्वामित्र
तुलसी और रहीम रहे जहाँ मित्र
बसे ह्रदयमें जिस धरती का चित्र
हम उस भारत की पूजा करते हैं
जहाँ कबीर ने चादर सच की तानी
जहाँ गूंजी गुरु गोविन्द की वाणी
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