बन के बावला ता उम्र ढूंढता रहा मैं मुहब्बत अपनी
सिसकती रोती रही वहीँ पे तन्हा तनहा मुहब्बत अपनी
कभी न तो सोचा न किया न देखा ख्याल हमने अपने दिल का
दिल का ख्याल दिल ही रखना जाने
इश्क का ख्याल दिल ही रखना जाने
यूं रुलाने ख्वाब में क्यूं कर आईयेगा
ख्वाब न हो जिस नींद में वो दे जाईयेगा
जगाया बहुत आपने पलकें झुकी जा रहीं
जो टूटे न नींद वो मुझे दे जाईयेगा
है तुमको आदत याद छिपाने की
दिल से दूर जाने औ' सताने की
करती ही रहना तुम ये खेल मुझसे
तमन्ना नहीं कुछ खोने या पाने की
समंदर को अपनी गहराई औ' लहरों पे था गरूर
डूब कर ले आया मोती मुहब्बत के मेरे हुजूर
रोज नए ताने मुझ पे मारे ये जमाना
मुझको ये गम दे दे के बनाते हैं दीवाना
तुम क्या रूठे सनम तितलियाँ भी रूठ गयीं
मुहब्बत के मारों को मिले न कोई ठिकाना
मैं कैसे भुला दूं वो मेरी बाँहों का चेहरा
गुलाबी होठों का वो फड़कना मुस्कुराना
तेरा चुपके से आना बालों को सहलाना
आतें हैं याद मुझको वो किस्से सारे पुराने
दोपहर में छत की धूप तब लगती थी चांदनी
देखो अब इस चांदनी का सुलग-सुलग जाना
दूब सी कोमल औ' झरने सी चंचल वो काया
यूं वीरान हुई जाती है तेरे बिन ये जिन्दगी
जैसे हुए ठूँठ पेड़ों से चिड़ियों का उड़ जाना
हर मायूसी के बाद इक हंसी सुबह तो होगी
हर गम के बाद इक हंसी मुस्कराहट तो होगी
ख़ुशी औ' गम इस जिंदगी के हैं दो हंसी किनारे
हर मायूसी के बाद इक हंसी सुबह तो होगी
हर गम के बाद इक हंसी मुस्कराहट तो होगी
ख़ुशी औ' गम इस जिंदगी के हैं दो हंसी किनारे
कदम तो बढ़ाओ कहीं पे हंसी जिंदगी तो होगी
जीवन ही तो विस्मय है विस्मय ही तो जीवन है
सपना टूटे या जी उठे विस्मित करता वह जीवन है
हर क्षण प्रति पल जीवन में कोई रचता विस्मय है
प्रति पल बदले जीवन यह तो अद्भुत नील गगन है
रूठ गई है राधा मेरी ना खेलेगी रंग
सूखी होली में कैसे भीगेगा तन मन अंग
नाव चलेगी क्या चढ़ के इस बालू के तरंग
मिले न पिस्ता बादाम अब क्या घोंटेंगे भंग
महंगी की मुट्ठी में है सबका अब दिल तंग
आसमान में कट गया धागा चिद्दी हुई पतंग
न मन बसिया न मन रसिया कहाँ छिपे अनंग
भूले कान्हा बाँसुरिया कौन बजाये मृदंग
बाजे न झांझ मजीरा टूटे सपने उड़ी उमंग
आओ चलें फकीरी में हम सब मस्त मलंग
गांव का गांव समन्दर में घुलता देखा
अपने हाथ में दिल को पिघलता देखा
अlपनी सांसों को मैंने सिमटता देखा
हजारों हजार ख्वाबों को बिखरता देखा
इश्क है करना कोई आसां तो नहीं
इश्क है कहना कोई आसां तो नहीं
दिलेरों का काम दिल का लेना देना
इश्क है बढ़ना कोई आसां तो नहीं
कैसे जानूँ मैं इन चूड़ियों का मिज़ाज
इश्क है जगाना कोई आसां तो नहीं
कांपते होठों से और तड़पते दिल से
इश्क है सुनाना कोई आसां तो नहीं
उस अनजान से मुझको है पहचान
इश्क है जताना कोई आसां तो नहीं
जीवन ही तो विस्मय है विस्मय ही तो जीवन है
सपना टूटे या जी उठे विस्मित करता वह जीवन है
हर क्षण प्रति पल जीवन में कोई रचता विस्मय है
प्रति पल बदले जीवन यह तो अद्भुत नील गगन है
रूठ गई है राधा मेरी ना खेलेगी रंग
सूखी होली में कैसे भीगेगा तन मन अंग
नाव चलेगी क्या चढ़ के इस बालू के तरंग
मिले न पिस्ता बादाम अब क्या घोंटेंगे भंग
महंगी की मुट्ठी में है सबका अब दिल तंग
आसमान में कट गया धागा चिद्दी हुई पतंग
न मन बसिया न मन रसिया कहाँ छिपे अनंग
भूले कान्हा बाँसुरिया कौन बजाये मृदंग
बाजे न झांझ मजीरा टूटे सपने उड़ी उमंग
आओ चलें फकीरी में हम सब मस्त मलंग
गांव का गांव समन्दर में घुलता देखा
अपने हाथ में दिल को पिघलता देखा
अlपनी सांसों को मैंने सिमटता देखा
हजारों हजार ख्वाबों को बिखरता देखा
इश्क है करना कोई आसां तो नहीं
इश्क है कहना कोई आसां तो नहीं
दिलेरों का काम दिल का लेना देना
इश्क है बढ़ना कोई आसां तो नहीं
कैसे जानूँ मैं इन चूड़ियों का मिज़ाज
इश्क है जगाना कोई आसां तो नहीं
कांपते होठों से और तड़पते दिल से
इश्क है सुनाना कोई आसां तो नहीं
उस अनजान से मुझको है पहचान
इश्क है जताना कोई आसां तो नहीं
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