शनिवार, 26 मार्च 2011

हो के मायूस न आँगन से उखाड़ो पौधे
धुप बरसी है तो बारिश भी यहीं होगी

अनंत काल से
समस्त ग्रह
एक दूजे  से कर रहे हैं प्रेम
कर रहे हैं संवाद सतत
मौन संवाद
शुद्ध संवाद
त्रुटिहीन संवाद
कभी एक दूजे से मिले नहीं
जब काल की धड़कने मिलती हों
जब आत्मा का स्पंदन  एक हो
जब लक्ष्य एक हो
तो हो जाता है अनजानों में प्रेम
प्रेम सच की भाषा है
ह्रदय की भाषा है
जब एक ह्रदय अपनी पहचान खो कर
दूसरे ह्रदय में समाविष्ट  हो जाता है
तब होता है प्रेम
प्रेम बाजार में तराजू से तौल कर नहीं होता
किसी प्रयोग के आधार पर नहीं होता
रूप रंग के आधार पर नहीं होता




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