शनिवार, 8 जनवरी 2011

पवित्र निर्णय



जज साहेब बड़े रोब-दाब में
अपने आसन पर डंटे थे
मैं एक मुजरिम का
वकील था.....
मेरे मोअक्किल पर
एक  दो नंबर के पाजी लड़के का
आरोप था
कि उसने
उसकी  ड्रीम गर्ल का
मोबाइल नंबर
किसी एक नंबर के आदमी को
दे दिया
और उसने
उसकी ड्रीम गर्ल को डांटा........  
मैंने उस पाजी से
पूछ-ताछ शुरू की-
"क्या तुमने एक नंबर के आदमी को
मोबाइल पर कभी बताया
कि तुम किसी हसीना के साथ 
फिल्म  गोल-माल टू देखने गए थे?"
लड़के ने कहा-
"मैंने कभी एक नंबर के आदमी से
बात नहीं की,
यह मेरा रिकार्ड है."
मैंने पूछा-
"लेकिन तुम्हारे  मोबाईल का
रिकार्ड बताता है कि
तुमने उससे बात की 
और उसे बताया कि 
तुमने एक हसीना के साथ 
फिल्म देखी,
हाथ में हाथ लिए!"
कई बार झूठ बोलने के बाद,
उस दो नंबर के पाजी ने
स्वीकार किया कि उसने ही
अपनी ड्रीम गर्ल का
मोबाईल नंबर 
एक नंबर के आदमी को दिया.
जज साहब ने टिप्पणी की-
"यह लड़का तो झूठ पर झूठ बोलता है....
ठीक है, मै कल निर्णय सुनाऊँगा."
और कल जज साहब ने 
उस दो नंबर के पाजी के पक्ष में 
अपना पवित्र निर्णय दे दिया !!!!!!
फिर जज साहब  ने
मुझ वकील को भी
धमकी दे डाली-
"याद रखो,
तुम वकील साहब हो तो
मै जज साहब हूँ!!"

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