फर्क कुछ लगता नहीं जिन्दगी और मौत में
जिन्दगी तो जिन्दगी मुझे मौत भी दगा दे गई
बार बार करवटें बदलीं कबाबे सींक की तरह
जलने का गम नहीं पर जलन भी दगा दे गई
हर दरवाजे सिर झुका मौत की मैंने दुआ मांगी
दुआएं क्या करतीं जो किस्मत ही दगा दे गई
वफ़ा की थोड़ी उम्मीद की अपनी मुहब्बत से
मुहब्बत तो मुहब्बत दुश्मनी भी दगा दे गई
बेपरवाह खेलते रहे हम जुआ बड़ी ईमानदारी से
हाथ में थी इक्कों की तिकड़ी वह भी दगा दे गई
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