रविवार, 8 मई 2011





निर्मल निश्छल कोमल मधुरिम
वन्दे मातरम् वन्दे मातरम
तू चन्दन  तू स्नेह-स्पंदन
हम तेरे नंदन 
तेरे ह्रदय की धड़कन 
तेरे सपने हम साकार 
मेरे संग तू अब निराकार 
ममता की तू गंगा 
त्याग  की तू  पर्वतमाला
स्वर्ग तुम्हारे आचल
तू श्रृष्टि है तू बादल  
निर्मल निश्छल कोमल मधुरिम

वन्दे मातरम् वन्दे मातरम
हर राग में तू मनभावन
सब धामों में तू पावन
तू मोती तू कंचन
तू भयहरण 
जाऊं मैं हर दिन 
तेरी चरण-शरण  
निर्मल निश्छल कोमल मधुरिम

वन्दे मातरम् वन्दे मातरम




मेरी हर सांस तुम्हारी
मेरी हर शरारत तुमको प्यारी
मेरी गलती अपने सर










  

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