मंगलवार, 23 नवंबर 2010

तुम्हारी जुबान से मैं अपने गीत गाऊँगा

जब मैं नहीं रहूँगा
देखूंगा तुमको
चाँद की नजर से
नगमे सुनाऊँगा
भौंरे-सा गंगुनाऊँगा
बन के ख्यालों में
उड़ता-उड़ता आऊंगा.....
जब मैं नहीं रहूँगा
फूलों की गंध बन कर
तेरे दिल में भर जाऊँगा......
सुबह-शाम
मेरे होने का अहसास 
तुममें  जगाऊँगा
तब छेड़ोगे तुम
अपने दिल के तारों को
तुम्हारी जुबान से
मैं अपने गीत गाऊँगा.........

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