उसकी जां से किसने जां छीन ली
फूलों से किसने महक छीन ली
यहाँ जो गाते थे कितना गुनगुनाते थे
उन परिंदों से किसने जुबाँ छीन ली
किसने बांधा इस दरिया को यहाँ
बहते पानी से किसने जिंदगी छीन ली
ये चाँद कैसे बेनूर हो गया
हसीनों से किसने हंसी छीन ली
झर गए कैसे तितलियों के रंग
मुहब्बत से किसने गज़ल छीन ली
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