चलती रहती ये दुनिया बड़ी ईमान से
अगर तलवारें निकली न होतीं म्यान से
शरहदें खून से तलवारों ने क्या बनाईं
आदमी शरहदों के दोनोंओर हुए अनजान से
इतिहास लिखने लगीं तलवारें लाशों पर
कलम अक्षर आदमी हुए बेजान से
तमाशबीन या आदमी बन गया तमाशा
हिल गयी दुनिया तलवारों के फरमान से
जड़ दिए ताले तलवारों ने आदमी की जुबां पे
दुबक गए लोग अँधेरी गुफा में बेजान से
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें