शनिवार, 27 नवंबर 2010

कौन उड़ा ले गया कल्लू की मुर्गी

उसका दुपट्टा किसने चुराया
उसकी हंसी कौन ले गया
उसकी चींख कौन पी गया
उसके दिल को कौन रौंद गया
उसको कौन जिस्म बना गया 
सबने देखा किसीने न बताया

किसने चुराया माँ की लाडली को
किसने बेबसी पर पौरुष फहराया
किसने उसके बदन पर चींटियाँ दौरायीं
किसने रोशनी में
उसे अँधेरे का जाम पिलाया
किसने उसे बाजार का रास्ता दिखाया
सबने देखा पर किसीने न बताया

आसमान से सूरज किसने चुराया
रोशनी में बैठकर
अँधेरे का परचम किसने लहराया
कौन उड़ा ले गया कल्लू की मुर्गी
किसने छौंक  लगाई किसने पुलाव बनाया
सबने देखा किसीने न बताया

कौन पी गया नदी का सारा पानी
कौन निगल गया पहाड़
कौन उड़ा ले गया बादल
कौन चुरा ले गया चिड़ियों के बोल
सबने देखा पर किसीने न बताया

कौन चट कर गया बासमती
कौन मार गया मलाई
कौन पी गया उसकी  हंसी  
कौन निगल गया मासूम का सपना
कौन झोपड़ी में आग डाल गया
कौन उस अछूत को छू गया
सबने देखा पर किसीने न बताया  





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