गुरुवार, 9 दिसंबर 2010
नोट वोट का पर्याय है, सत्ता है टकसाल
कुछ दोहे
नोट वोट का पर्याय है, सत्ता है टकसाल
मनचाही कुर्सी मिले चार पुश्त हो लाल
साधू को भी लूट लिया, चोरों को चकराय
सबकी काटी जेब है, सिर पर टोप लगाय
लूट गया जो रात में, सुबह बोलता जाय
सारी दुनिया चोर है, हम तो हैं रघुराय
नेता लेवे सेवा, पर सेवक कहलाय
सत्तर चूहे मारकर, राम धाम को जाय
बोले सो वह ना करे, गंगा उलट बहाय
चोर चोर वह शोर कर, माल गड़प कर जाय
सुनने में झूठा लगे, फिर भी सच हो जाय
बैठा जेल के अंदर, संसद में आ जाय
वह सबका गीने दाग, अपने में इतराय
शीश ना देखे आपणा, बस दर्पण चमकाय
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बहुत बढ़िया दोहों की टकसाल ...
जवाब देंहटाएंवाह भाई बहुत खूब ..... लिखते रहिये..... बधाई.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंbahut khoob!
जवाब देंहटाएंit's superb..
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छा.....मेरा ब्लागः-"काव्य-कल्पना" at http://satyamshivam95.blogspot.com/ ....आप आये और मेरा मार्गदर्शन करे...धन्यवाद
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