शनिवार, 11 दिसंबर 2010

जो चोर चोर का कर रहा था शोर वह था असली चोर

जो चोर चोर का कर रहा था शोर
और कोई नहीं
वह था असली चोर
कितने पाप करोगे?
देश को तोड़ा
गाँधी को मारा
समाज को बांटा
मस्जिद गिराई
कारगिल में होता रहा घुसपैठ
तुम डूबे रहे
शराब की पाउच में
और  कितने सैनिक हो गए शहीद
लूट का शिकार हुई
शव पेटियों की खरीद
प्रतिरक्षा खरीद में ली
कैमरे के सामने दलाली
किसीने किये सौ धमाके
तुम्हारे पैदा किए उन्माद पर
तो तुमने भी कर दिए कुछ और धमाके
और छिप गए कायर की तरह
हाफ पैंट वाले बाबा की गोद में
प्रश्न के बदले लेते रहे मोटी रकम
और डूबे रहे प्रमोद में
आजादी का किया विरोध
और अब बनते हो राष्ट्रभक्त?
रंग बदलते हो देख कर वक्त
जिस दरख़्त के नीचे तुमको मिली पनाह
उसी दरख्त की जड़ें कुतरते रहे 
झूठ  दर झूठ बोलते रहे बेपनाह
अफवाह  पर अफवाह फैलाते रहे
लाशों पर राजनीति  करते रहे
और  संतों का भगवा पहन कर
उसे बदनाम करते रहे
आवाम को भी दिया धोखा
राम को भी दिया धोखा
कब तक यह सब करते रहोगे
कब तक?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें