बुधवार, 15 दिसंबर 2010

मदद के हाथ जाल की तरह काम कर रहे थे !



उनका हर मोहरा
झूठ की बुनियाद पर खड़ा था
और आदमी
सच के साथ दबा कुचला था
जब कि
वह रंगरेलियां मना रहा था
और आदमी
सिर झुकाए खड़ा था

वह मनमानी कर रहा था
और  उसे  न्याय बता  रहा था
और आदमी
बेक़सूर हो कर भी
स्वयं को जेल में
बन्द कर रहा था

वह खुल कर
मदद कर रहा था
और उसके मदद के हाथ
जाल की तरह काम कर रहे थे
और आदमी चिड़िया बना
जाल में फंस रहा था.........  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें